कंवलदह पोखरा, बक्सर ( शहीद स्मारक पार्क)

 कमलदह पोखरा (शहीद स्मारक)
               
पौराणिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से अलंकृत यूं तो इस नगरी में सैकड़ों स्थल होंगे पर एक ऐसा स्थल भी है जिसका नाम इस शहर से सदियों से जुड़ा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बक्सर स्टेशन से महज 300 मीटर की दूरी पर स्थित कमलदह पोखरा की जिसे व्याघ्रसर नाम से भी जाना जाता है और जो अपनी खूबसूरती के लिए विख्यात है।

मान्यता--
            मान्यता है कि ऋषि दुर्वासा के अभिशाप के परिणाम से ऋषि वेदशिरा के बाघ के चेहरे को एक पावन कुंड में स्नान करने के बाद ही पूर्ववत रूप की प्राप्ति हुई थी जिसे व्याघ्रसर से नामित किया गया था । संभवत इस वजह से ही इस पवित्र नगरी को भी व्याघ्रसर का नाम मिला जो कालांतर में अपभ्रंश हो बक्सर बन गया। आज भी आपको सरोवर से कुछ दूर पर ऋषि वेदशिरा का आश्रम का प्रतीक बना एक छोटा मंदिर दिख जाएगा जो संभवत प्रशासन एवं आम जनमानस की उपेक्षा का शिकार हो चुका है

सरोवर का सौंदर्यीकरण--
                     स्थल को पर्यटक केंद्र बनाने हेतु तत्कालीन जिलाारी संदीप पॉन्ड्रिक के मार्गदर्शन में यहां तालाब का नए सिरे से निर्माण, सीढ़ियों का निर्माण ,तालाब के मध्य सेंट्रल पार्क बनाने का कार्य और नौकायान हेतु नौकाओं की आपूर्ति के साथ चारदीवारी आदि का भी काम तत्परता से हुआ था। कालांतर में इसे यथावत रखने के उद्देश्य से वर्ष 2011 एवं 2018 में भी सरकार द्वारा यथोचित कार्य किया गया था।

देशप्रेम परिभाषित करता शहीद स्मारक--
                       पोखरा के बीचो-बीच निर्मित शहीद स्मारक देशप्रेम की अलख जगाता है। मुख्य द्वार के ठीक सामने और जलाशय के बीचो-बीच होने से इसकी शोभा देखते ही बनती है। राष्ट्रीय पर्वों के दिन एवं विशेषतः कारगिल विजय दिवस के अवसर पर इस स्मारक को विशेष रूप से अलंकृत करने का काम सरकार एवं कुछ स्वयंसेवी संगठनों द्वारा किया जाता है। कारगिल विजय दिवस के समूचे दिन यहां लोग आते रहते हैं और राष्ट्र के जांबाज सपूतों के प्रति अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

सरोवर से लगा विज्ञान भवन--
           कमलदह पोखरा के समीप स्थित है बाल विज्ञान केंद्र जिससे बच्चों को विज्ञान के गूढ़ रहस्यों को समझाने एवं दिखाने के लिए बनाया गया था। स्थापना काल से ही इस पर शिक्षा विभाग द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया जिससे इस भवन की स्थापना के उद्देश्यों को मूर्त रूप नहीं मिल पाया। भवन के ऊपर लगी घड़ी में हर वक्त दो ही बजा रहता है और ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह घड़ी कालचक्र से परे है। हालांकि इस विज्ञान भवन के आगे बने परिसर में अक्सर हड़ताल, धरना आदि का कार्यक्रम चलते रहने के कारण इस स्थल को राजनीतिक दृष्टि से प्रमुख माना जाता है।

सूर्योदय एवं सूर्यास्त--
         शहर के भीड़भाड़ में शायद ही आपको कमलदह पोखरा जितना रमणीय स्थल मिले। पोखरा के प्रांगण में लोगों का अक्सर सुबह शाम के वक्त जमावड़ा लगा रहता है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त का नजारा यहां अपनी अलग रौनक बिखेरता है।

दुविधा--
      इस पोखर के इतने रमणीय होने के बावजूद भी इस पोखर का जल प्रशासन एवं जनमानस की चेतना की तरह थम सा गया है। कभी अपनी स्वच्छता, नौकायान एवम जल क्रीड़ा के लिए प्रख्यात यह पोखर बस अब अपनी पुरानी यादें लिए खड़ा है। हालांकि सरकार द्वारा कई बार इस पोखर का कायाकल्प करने का प्रयास हुआ पर आज भी इसे वह नाम नहीं मिला जिसका यह  हकदार है। मुख्य द्वार के आसपास गंदगी एवं अतिक्रमण का होना भी इस विरासत की गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। कालांतर में इसमें पुनः नौकायान देखने को मिले यही हम आशा कर सकते हैं।

यादें--
           सरोवर के जल को घूरना, शहीद स्मारक से प्रेरित होना,सूर्योदय एवं सूर्यास्त का पोखर में प्रतिबिंब निहारना, मित्रों के साथ बात करते करते पोखर के अनगिनत चक्कर लगा देना आदि कुछ ऐसी यादें हैं जिसे मैं भूले ना भुलाया सकता।

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लेखन-- अभिजीत

तस्वीरें-- सूर्यप्रकाश (Surya Photography)

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