बक्सर का किला

            बक्सर का किला, बक्सर
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आधुनिकता के इस दौर में खुद को स्थापित करना भले ही इस शहर को आ गया हो पर इतिहास को संजोए रखना शायद ही इसने सीखा। शोर शराबा, हँसी ठिठोली वाद विवाद और मुस्कानों से चहचहाते इस शहर को जिंदादिली के नाम पर भले हम मिसाल माने किंतु आज भी कुछ विरासत हैं जो मरणशय्या पर पड़े हैं। ऐसी ही विरासतों में आज हमने ढूंढ निकाला है बक्सर के किले को जो अब बस टूटी फूटी दीवारों तक सीमित रह गया है।

निर्माण कार्य--
                बक्सर शहर के उत्तरी छोर पर अवस्थित इस किले का निर्माण तत्कालीन राजा रुद्रदेव महाराज द्वारा 1054ई. में करवाया गया था।राज्य की सुरक्षा के दृष्टि से इस किले को काफी मजबूत बनाया गया था

बनावट--
           किले के चारों कोने पर सुरक्षा बुर्ज बने हुए थे जिनमें से अभी बस तीन बुर्जों के ही अवशेष बचे हुए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से किले के चारों ओर गहरी खाई का भी निर्माण किया गया था जो अब अनावश्यक पौधों से ढका पड़ा है। किले के अंदर दो सुरंगों को भी देखा जा सकता है जो लगभग बन्द है और अबूझ पहेली है। किले के दक्षिण पूर्वी छोर पर भैरव नाथ का मंदिर है जिसे चारदीवारी से घेर दिया गया है।मुख्यद्वार से अंदर जाते ही आप एक कुआँ देख सकते है जिसको अब लोहे के जाली से ढक दिया गया है। किले के अंदर एल आकार के दो  कमरें भी है जिनकी दीवारें काफी मजबूत है और शायद प्राचीन काल मे इनमें हथियारों को रखा जाता होगा। किले के दक्षिणी ओर खाई के बगल में बड़ा मैदान है।

इतिहास खंगालने का प्रयास--
                          सर्वप्रथम पुरातत्व विभाग द्वारा 1927ई. में किले में खुदाई हुई थी जिसमे टेराकोटा मूर्ति,प्राचीन ईंट और पूर्व मौर्यकालीन एक प्रतिमा प्राप्त हुई थी। इसी उद्देश्य से 1964ई. में दुबारा खनन हुआ जिसमें पुरातत्व विभाग को प्राचीन मूर्तियां एवम हिजरी वर्ष अंकित चांदी के सिक्के मिलें। बार बार स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद सरकार को खुदाई बन्द करने पर मजबूर होना पड़ा।

हस्तक्षेप--
            प्राचीन स्मारक अधिनियम 1956 के अनुसार बक्सर किला सुरक्षित क्षेत्र है । बावजूद इसके यहां अतिथि गृह का निर्माण कर दिया गया है। हाल यूं है कि इसे अब लोग बक्सर किला के जगह बक्सर अतिथि गृह के नाम से ही जानते है। हालांकि अतिथि गृह बन ने के बाद यहाँ आपको बागबानी भी देखने को मिल सकती है जो एक अच्छी बात है।

क्यों आएं--
              यूं तो ये किला काफी हद तक ध्वस्त हो चुका है पर आज भी इसकी बनावट लोगों को आकर्षित करती है। इस किले के उत्तर पश्चिम भाग पर स्थित बुर्ज से आप माँ गंगे का सर्वश्रेष्ट नजारा ले सकते हैं। अक्सर लोगों को वहां कैमरे के साथ पाया जाता है। यहां का वातावरण शांत और शीतल रहता है जिस से लोगों को ये आकर्षित करता है।

कैसे पहुंचे--
       चाहे आप बक्सर स्टेशन से आ रहें हो या बक्सर -चौसा- सासाराम मार्ग से आपको पहले वीर कुंवर सिंह चौक आना होगा ततपश्चात वहां से आप पैदल भी किले तक आ सकते हैं।

यादें-- 
    आपमें से आए कई लोगों ने किले से माँ गंगे, किला मैदान या आसपास का नजारा अपने कैमरों में या अपनी यादों में जरूर कैद किया होगा।

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लेखन-- अभिजीत

तस्वीरें-- सूर्यप्रकाश

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